*
==================
आचार्य विष्णु श्रीहरि
यह सच्चाई सिर्फ दिल्ली की नहीं है, यह सच्चाई बडे-बडे सभी जगहों की है। छोटे-छोटे कस्बों की है। आज करवा चौथ है। मैं कल से ही दिल्ली घूम रहा हूं। हर जगह करवा चौथ करने वाली महिलाएं और लड़कियों की भीड लगी हुई है। मेंहंदी लगाने की होड लगी है। पहले महिलाएं और लडकिया सिर्फ हाथों पर ही मेंहदी लगवाते थी, पर अब शरीर कोने-कोने में मेंहदी लगवाती हैं। हाथ के अलावा, पैर, गले के साथ ही साथ चेहरे पर भी मेंहदी लगवाती है। करवा चौथ के दिन हिन्दू महिलाएं और लडकियां मेंहदी जरूर लगवाती हैं।
हिन्दू लडकियों और महिलाओं को मेंहदी कौन लगाता है? हिन्दू लडकियां और महिलाएं किसकी जेब गर्म करती हैं, किसकी वहशी इच्छाएं पूरी करती हैं? इस पर कभी विचार किया है आपने। मेंहदी लगाने वाले मुसलमान होते हैं। सिर्फ मुस्लि लडकियां ही नहीं बल्कि मुस्लिम मर्द और मुस्लिम युवक भी होते हैं। खासकर बीस साल से लेकर 30 साल के उम्र समूह के मुस्लिम युवक होते हैं। इस उम्र वर्ग के मुस्लिम युवकों को इसके लिए खास तौर पर तैयार किया जाता है, उन्हें पैसे देकर प्रशिक्षित किया जाता है और गिरोहबंदी कर मेंहदी लगाने के लिए साजिश की जाती है, तैयार किया जाता है। आखिर क्यों? इसके पीछे बहुत बडी साजिश है जिसे अधिकतर मूर्ख हिन्दू समझते नहीं है।
इससे मुस्लिम जिहादियों की दो इच्छाएं पूरी होती हैं और उनकी दो साजिशें भी कामयाब होती हैं। एक तो मुस्लिमों की झोली भरती हैं, उन्हें इतना पैसा मिल जाता है जितना पैसा वे महीनों परिश्रम कर कमाई नहीं कर सकते हैं। आप इनकी कमाई का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। सिर्फ दिल्ली मे ही करवा चौथ के दिन दो हजार करोड़ की कमाई होती है। करवा चौथ के दिन मेंहदी लगवाने की सबसे कम रेट पांच सौ रूपये होता है, जो गरीबों का रेट है, थोडी धनी महिलाएं तो मेंहदी लगवाने पर पांच-पांच हजार रूपये तक खर्च करती हैं। सबसे धनी हिन्दू महिलाएं तो दस से पचास हजार रूपये तक खर्च करती हैं। करवा चौथ पर इस प्रकार से मुसलमान हजारों करोड़ रूपये प्रति साल कमाते हैं।
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि करवा चौथ भी लव जिहाद का आधार है। करवा चौथ और अन्य पर्व त्यौहारों पर मेंहदी लगवाने के लिए मुसलमानो के पास जाने वाले अधिकतर कम उम्र की महिलाएं और लडकिया होती हैं। चूंकि मुस्लिम लडके कम उम्र के होते हैं और स्टाइलिस भी होते हैं। मुस्लिम युवक मेहदी लगाने के दौरान महिलाओं और लडकियों की शरीर को भी उतेजित करते हैं, उनकी कई क्रियाए ऐसी होती हैं जो लडकियो की प्राकृतिक सहजता को प्रभावित करती हैं और सेक्स उतेजना को भी जगा देती हैं। इस दौरान और इस परिस्थिति में मुस्लिम युवक हिन्दू लडकियों से संपर्क नंबर ले लेते हैं और अपने जाल में फंसा भी देते हैं। इस प्रकार बहुत सारी लडकियां ही नहीं बल्कि कम उम्र की महिलाएं भी मुस्लिम युवकों के जाल में फंस जाती हैं। इसके बाद का खेल तो आप जानते ही हैं। करवा चौथ सहित सभी पर्व त्यौहार मुस्लिमों के लिए लव जिहाद का आधार बन गये हैं।
करवा चौथ का उदाहरण आप देख लीजिये। किस महिला के पति और किस लडकी के बाप को यह ज्ञान नहीं है कि मेरी पत्नी और मेरी बेटी अगर मुसलमान से महेंदी लगाने जायेगी तोे क्या होगा, वह कैसे नहीं मुसलमान के दूसरी, तीसरी और चौथी बीबी बनेगी, कैसे नहीं लव जिहाद की शिकार बनेगी, आधार बनेगी। सभी जानकारी होने के होने के बाद भी हिन्दू अपने पत्नियों और बेटियेां को मुसलमानों से मेंहदी लगवाने भेजते हैं, उन्हें इसका दुष्परिणाम तो तब सामने नजर आता है जब पत्नियां और बेटिया किसी मेहदी वाले या फिर किसी कबाडी वाले के साथ भाग जाती हैं और लव जिहाद की शिकार बन जाती हैं।
हिन्दू महिलाओं और हिन्दू लडकियों ने सनातन को कितना शर्मसार किया है इसका अंदाजा शायद आप लोगों को नहीं होगा। हिन्दू लडकियों को मुसलमानों की दूसरी, तीसरी और चौथी बीबी बनने में शर्म नहीं आती हैं, उन्हें टुकडे टुकडे होकर बोरा में डलने का डर भी नहीं होता है। मां-बाप के साथ ही साथ सनातन को भी शर्मसार करते हैं। आज बडे शहरों की स्थिति ऐसी है कि कोई ऐसी गली नहीं है जिसमें मुस्लिम दामाद सनातन के सीने पर बैठ कर मंूंग नहीं दलता है।
अपने पर्व त्यौहारों को मुस्लिमों की तिजोरी भरने के लिए लडकियों और महिलाओं को प्रेरित मत कीजये, लव जिहाद का आधार बनने के लिए छूट मत दीजिये। हिन्दू धर्म से जुडे लोगों का चुनाव कीजिये। इस संबंध में हिन्दू संगठनो के भी हाथ बंधे हुए हैं। क्योंकि सेक्युलर सिद्धांत से ग्रसित हिन्दू ही हिन्दू एक्टिविस्टों के खिलाफ खडे हो जाते हैं। फिर हम ऐसी स्थिति में करवा चौथ और अन्य हिन्दू त्यौहारो को मुस्लिमो की तिजेरी भरने और उनके लव जिहाद को कैसे रोक पायेंगे?
प्रेषक
आचार्य विष्णु श्रीहरि
New Delhi