तर्ज -देहाती
टेक: अरे शान निराली मेरे देश की कितने वीर सपूत हुए।
दे देकर बलिदान चले गए, इतिहासों में अमर हुए।।
अरे राणा प्रताप ,शिवा, शेखर का नाम हमें मिलता प्यारे,
देश – धर्म के रहे पुजारी, किए खून के थे गारे।
केसरिया की शान के कारण कितने ही दुश्मन मारे,
बलिदान हो गए धर्म पर , ऋणी उन्हीं के हम सारे।।
जीवन धन्य बना गए सारे न जाने कितने समर हुए ……१
लाल किला कुछ कहता हमसे, हल्दीघाटी बोल रही,
ताज आगरा की सच्चाई , मेरे मन में डोल रही।
लाट कुतुब भी धीरे-धीरे, सच्चाई को उगल रही,
हम सारे भारत वालों के नहीं दिखते मुगल कहीं।।
अरे दुनिया को जो देकर जाते नाम उन्हीं के अमर हुए….२
अरे बप्पा रावल ,नागभट्ट और मिहिर भोज से भूप हुए,
सुहेल, पृथ्वी, राणा सांगा , युद्ध अगन में कूद गए।
लाडी रानी और पद्मिनी, के भी जौहर यहीं हुए,
मत पन्ना के त्याग को भूलो , ऐसे चंदन कहां हुए ।।
अरे बलिदानों की लगी झड़ी हम तब जाकर आजाद हुए….३
नहीं लिख सकते उनकी गाथा गीत कहां तक गाऊं मैं,
कौन-कौन क्या करके चले गए किस किस को बतलाऊं मैं ?
आंसू में लो डुबा कलम को, मर्म की बात बताऊं मैं,
शीश झुकाए खड़े रहो तुम , श्रद्धा भाव जगाऊं मैं।।
“राकेश” इतिहास बना जा प्यारे , कितने ऐसे जन्म हुए ….४
डॉ राकेश कुमार आर्य
मुख्य संपादक, उगता भारत