ईश्वर विषय🌷
प्रश्न : परमात्मा का मुख्य नाम क्या है?
उत्तर : परमात्मा का मुख्य और निज नाम ओ३म् है।
प्रश्न :ओ३म् नाम में कितने अक्षर हैं?
उत्तर :ओ३म् नाम में तीन अक्षर अ,उ और म् है।
प्रश्न :परमात्मा कहां रहता है?
उत्तर :परमात्मा सर्वव्यापक है,कोई स्थान उससे रिक्त नहीं है।
प्रश्न :परमात्मा कब से है उसका कार्य क्या है?
उत्तर :परमात्मा सदा से है,वह अनादि है न कभी पैदा होता है और न ही मरता है।सृष्टि की उत्पत्ति,स्थिति,प्रलय तथा जीवों को उनके कर्मानुसार फल देना उसके कार्य हैं।
प्रश्न :क्या परमात्मा मनुष्य के रुप में अवतरित हो सकता है?
उत्तर :कभी नहीं।यदि वह मनुष्य बन जाए तो हम जैसा मरने जीने वाला हो जाएगा।
प्रश्न :ईश्वर निराकार है या साकार?
उत्तर :ईश्वर निराकार है।
प्रश्न :निराकार किसको कहते हैं?
उत्तर :जिसका कोई आकार न हो।
प्रश्न :साकार किसको कहते हैं?
उत्तर :जिसका कोई दिखने वाला रुप,आकृति या शक्ल सूरत हो उसको साकार कहते हैं।
प्रश्न :ईश्वर को साकार मानने में क्या हानि है?
उत्तर :साकार पदार्थ नष्ट होने वाला होता है इसलिए ईश्वर नाशवान हो जायेगा।साकार पदार्थ एकदेशीय होते हैं तब ईश्वर एकदेशीय हो जाएगा।निराकार होने से ही ईश्वर सर्वव्यापक और अविनाशी है।
प्रश्न :ईश्वर को प्राप्त करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर :जैसे शीत से आतुर पुरुष अग्नि के पास पहुंचने से शीत से निवृत्त हो जाता है वैसे ही परमेश्वर के समीप अर्थात् प्राप्त होने से सब दोष,दुःख छूटकर परमेश्वर के गुण कर्म स्वभाव के सदृश जीवात्मा के गुण कर्म स्वभाव पवित्र हो जाते हैं और आत्मा का बल इतना बढ़ेगा कइ वह पर्वत के समान दुःख प्राप्त होने पर भी न घबरावेगा।
प्रश्न :ईश्वर व जीव का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर :व्याप्य और व्यापक का सम्बन्ध है।सेव्य-सेवक,स्वामी-भृत्य,राजा-प्रजा,पिता-पुत्र तथा उपासक-उपास्य आदि का है।
प्रश्न :ईश्वर का स्वरुप क्या है?
उत्तर :ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरुप,निराकार,सर्वशक्तिमान,न्यायकारी,दयालु,अजन्मा,अनन्त,निर्विकार,अनादि,अनुपम,सर्वाधार,सर्वेश्वर,सर्वव्यापक,सर्वान्तर्यामी,अजर,अमर,अभय,नित्य,पवित्र और सृष्टि का कर्ता है।
🌷वेद विषय🌷
प्रश्न :वेद कितने हैं उनके नाम क्या हैं?
उत्तर :वेद चार हैं-ऋग्वेद,यजुर्वेद,सामवेद,अथर्ववेद।
प्रश्न :वेदों का प्रकाश किसने किया?
उत्तर :परमपिता परमात्मा ने वेदों का प्रकाश किया।
प्रश्न :वेदों का प्रकाश परमात्मा ने कब किया?
उत्तर :मानव सृष्टि के इरम्भ में परमात्मा ने वेदों का प्रकाश किया।
प्रश्न :वेद का ज्ञान परमात्मा ने किनके द्वारा किया?
उत्तर :चार ऋषियों के द्वारा-अग्नि,वायु,आदित्य और अंगिरा के द्वारा परमात्मा ने चारों वेदों का प्रकाश किया।
प्रश्न :ईश्वर के मुख तो है नहीं फिर वेद ज्ञान कैसे दिया?
उत्तर :परमात्मा सर्वव्यापक है सबके अन्दर व्यापक है।जैसे मेरे मन में विचार उठते हैं,चिन्तन होता है,अपने मन ही मन में बिना मुख बोल लेता हूं,निर्णय करता हूं,विचारता हूं।किसी बाहरी साधन की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि ये सब क्रियाएं अपने अन्दर हो रही हैं।
जो मुख से बोला,कान से सुना जाता है वह वेद नहीं है वह श्रुति है संज्ञा है।वेद वह है जो परमात्मा,आत्मा में प्रार्दुभूत होता है।अतः परमात्मा एक नम्बर,जीवात्मा दो नम्बर,बुद्धि तीन नम्बर ,मन चार नम्बर,मुख पांच नम्बर,कान छः नम्बर।
इस प्रकार परमात्मा का ज्ञान,कान तक पहुंचने में पांच सीढ़ी पहले पार हो चुकी हैं।परमात्मा के आत्मा में व्यापक होने के कारण,परमात्मा के ज्ञान को आत्मा परमात्मा से ग्रहण कर लेता है।जब आत्मा बुद्धि के द्वारा उस ज्ञान को मन तक पहुंचा देता है,मन वाणी को देता है,तथा वाणी से कानों को मिलता है।परमात्मा का ज्ञान आत्मा में प्रेरित होता है उसकी संज्ञा वेद है।
ऋषियों ने जब उस प्राप्त ज्ञान का उच्चारण किया तब उसे कानों से सुनाया गया तब वह श्रुति कहलाया।अतः वेद ज्ञान को देने के लिए ईश्वर को मुखादि अवयवों की आवश्यकता नहीं।यह ज्ञान तो सीधा ऋषियों की आत्मा में आता है।ऋषि बोलते हैं तो दूसरे सुन सकते हैं।
प्रश्न :भाषा तो ईश्वर प्रदत्त हो गई पर वेद को ईश्वर प्रदत्त क्यों माना जाए?
उत्तर :भाषा आयेगी तो ज्ञान तो साथ आयेगा ही।भाषा बिना ज्ञान के होती ही नहीं है,प्रत्येक शब्द का कोई अर्थ होता है यानि जब भाषा को ईश्वर प्रदत्त मान लिया तो ज्ञान तो स्वतः ईश्वर प्रदत्त स्वीकार कर लिया गया।वह आदि भाषा और ज्ञान और कोई नहीं केवल वेद है।
प्रश्न :वेदों में क्या लिखा है?
उत्तर :वेदों में मनुष्यों के कर्तव्यों तथा सब सत्य विद्याओं और पदार्थों के विषय में सब कुछ लिखा है।
प्रश्न :वेदों की उत्पत्ति को कितने वर्ष हो गये हैं?
उत्तर : वेदों के आविर्भाव को विक्रम संवत् 2076 में एक अरब छियानवे करोड़ आठ लाख तिरेपन हजार एक सौ बीस वर्ष (1,96,08,53,120 वर्ष) ।
प्रश्न :चतुर्युगी में कितने वर्ष होते हैं?उनके नाम क्या हैं?
उत्तर :सत्युग – 1728000 वर्ष
त्रेता युग – 1296000 वर्ष
द्वापर युग – 864000 वर्ष
कलियुग – 432000 वर्ष
प्रश्न :वेद नित्य हैं या अनित्य?
उत्तर :वेद नित्य हैं जैसे परमपिता परमात्मा सदा रहता है,उसी प्रकार उसका ज्ञान वेद सर्वदा रहता है।
प्रश्न :क्या वेदों का ज्ञान सबके लिए है?
उत्तर :हां,परमेश्वर यजुर्वेद के मन्त्र में कहता है कि मैं सब मनुष्यों के लिए इस कल्याणकारी वेद वाणी का उपदेश करता हूं।ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,शूद्र(सेवक),स्त्री,पुरुष सबके लिए वेद का प्रकाश है।
प्रश्न :चारों वेदों में कितने मन्त्र हैं?कौन से वेद में कितने मन्त्र हैं?
उत्तर :ऋग्वेद – 10589
यजुर्वेद – 1975
अथर्ववेद – 5977
सामवेद – 1875
योग – 20416 कुल मन्त्र हैं।
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