उन लोगों के क्या लक्षण होते हैं जो वायु पर पूरा अधिकार स्थापित कर लेते हैं?
आध्यात्मिक प्रगति और भौतिक संसार में वायु का क्या उपयोग है?
महिषासो मायिनश्चित्रभानवो गिरयो न स्वतवसो रघुष्यदः।
मृृगाइव हस्तिनः खादथा वना यदारुणीषु तविषीरयुग्ध्वम्् ।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.64.7 (कुल मन्त्र 739)
(महिषासः) माहन्, व्यापक (मायिनः) ज्ञान धारण करने वाला (चित्रभानवः) अद्भुत चमक वाला (गिरयः न) पर्वतों की तरह, वैदिक विद्वानों की वाणियों की तरह (स्वतवसः) स्वाभाविक बल वाले, (शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक) (रघुष्यदः) साहस के साथ गति वाला (मृृगा) मृग (हिरण) (इव) जैसे कि (हस्तिनः) हाथी (खादथा) खाते हैं (वना) वनों को (शाकाहारी भोजन) (यदारुणीषु) जिसकी उत्तम शक्तियाँ (तविषीः) बल (अयुग्ध्वम््) जोड़ते हैं।
व्याख्या:-
वायु की क्या शक्तियाँ और लक्षण हैं?
उन लोगों के क्या लक्षण होते हैं जो वायु पर पूरा अधिकार स्थापित कर लेते हैं?
यह मन्त्र वायु अर्थात् प्राणों की शक्तियों को सूचीबद्ध करता है तथा उन लोगों की शक्तियाँ भी बनाता है, जिन्होंने प्राणों पर अधिकार स्थापित कर लिया हो, जिन्हें मरुत कहा जाता है:-
1. महिषासः – वे माहन् और व्यापक हैं।
2. मायिनः – वे ज्ञान धारण करते हैं।
3. चित्रभानवः – वे अद्भुत चमक वाले हैं।
4. गिरयः न स्वतवसः – वे स्वाभाविक बल वाले (अर्थात् शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक) हैं। पर्वतों की तरह, वैदिक विद्वानों की वाणियों की तरह।
5. रघुष्यदः – वे साहस के साथ गतिशील होते हैं।
6. मृृगा, इव, हस्तिनः खादथा, वना – वे शाकाहारी भोजन खाते हैं जैसे – मृग (हिरण) और हाथी।
वायु और मरुतों की शक्तियों और बलों के साथ प्रत्येक व्यक्ति को सम्बद्ध रहना चाहिए।
जीवन में सार्थकता: –
आध्यात्मिक प्रगति और भौतिक संसार में वायु का क्या उपयोग है?
वायु की शक्तियाँ अपार हैं। केवल महान् योगी ही अपने श्वास के माध्यम से उन पर अधिकार स्थापित करते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति को श्वास पर ध्यान करना चाहिए, प्राणायाम के यौगिक अभ्यास का अनुसरण करना चाहिए, विशेष रूप से कुम्भक के रूप में श्वास को रोकना। इस प्रकार कोई भी व्यक्ति सरलता पूर्वक वायु के लक्षणों का विकास कर सकता है:- आध्यात्मिक अनुभूति में प्रगति के लिए, मानसिक संतुलन बनाये रखने के लिए और जीवन की सभी कठिनाईयों और उथल-पुथल का समाधान करने के लिए।
भौतिक रूप में भी वायु का विद्युत और जल के साथ वैज्ञानिक प्रयोग करके भूमि पर, जल में और वायु में भिन्न-भिन्न प्रकार के वाहन विकसित करके चलाने में प्रयोग किया जाता है।
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