एक शोधपूर्ण प्रशंसनीय ग्रंथ
मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा ‘भारत हजारों वर्षों की पराधीनता एक औपनिवेशिक भ्रमजाल’ में बड़े शोधपूर्ण ढंग से हमें बताया गया है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर मुस्लिम और ब्रिटिश शासन की अवधि कितने समय तक रही? इस सारणी को देखकर हमें पता चलता है कि भारत के हिंदू वीरों के प्रताप और पुरूषार्थ से कितने ही क्षेत्रों में तो विदेशी शासन, स्थापित भी नही हो पाया था, जबकि जहां कहीं स्थापित हो गया, वहां वह अधिक देर तक स्थापित नही रह पाया। उस शोध प्रबंध से हमें जो जानकारी मिलती है उसमें हिंदुओं का संभावित शासन का आरंभ ई. पू. 18000 से माना गया है (इस धारणा से सहमत नही हुआ जा सकता क्योंकि हिंदू जाति, आर्य जाति) का इतिहास तो करोड़ों वर्षों का है, जिसे कुछ हजार वर्षों में नही बांधा जा सकता। हम उसी शोध प्रबंध की मान्यता के आधार पर यहां विमर्श करेंगे कि किस प्रकार हिंदू आर्य जाति ने अपने अस्तित्व और अस्मिता की रक्षार्थ घोर परिश्रम किया? उस शोध प्रबंध के अनुसार हमें भारत के विभिन्न प्रदेशों, आंचलों, भूक्षेत्रों के विषय में निम्नवत जानकारी मिलती है :-
(1) जम्मू : यहां पर ईसा पूर्व 16000 से 1948 तक लगभग 18000 वर्षों तक निर्विघ्न हिंदू शासन रहा। इस क्षेत्र में मुस्लिमों का एक दिन भी शासन नही रहा, इतना ही नहीं ब्रिटिश शासन भी यहां कभी नहीं रहा। 1851 की संधि से यह तथ्य और भी स्पष्ट हो जाता है।
(2) लद्दाख : इस क्षेत्र की स्थिति भी जम्मू जैसी ही रही है। यहां भी हिंदू राजाओं का प्राचीनकाल से निर्विघ्न शासन रहा है और मुस्लिम या ब्रिटिश शासन की अवधि यहां भी एक दिन के लिए भी नही रही।
(3) कश्मीर घाटी- कश्मीर घाटी में स्थिति कुछ दूसरी रही है। यहां प्राचीनकाल से 17474 वर्ष तक हिंदुओं का और 473 वर्षों तक अर्थात 1346 ई. से 1819 ई. तक 473 वर्ष के लिए मुस्लिम शासन स्थापित हो गया। परंतु मुस्लिम शासन के पश्चात ब्रिटिश अंग्रेजों का शासन यहां कभी नहीं रहा। इस प्रकार 473 वर्षों तक जम्मू लद्दाख और कश्मीर घाटी के तीनों क्षेत्रों में से 473 वर्ष के लिए घाटी ने ही पराधीनता को स्वीकार किया। समय आने पर इस क्षेत्र ने भी पराधीनता का जुआ छोड़ अपने कंधों से उतार कर फेंक दिया।
पंजाब और हरियाणा :
हरियाणा पूर्व में पंजाब का ही एक भाग रहा है। यहां हिंदुओं ने 17900 वर्ष तक निर्बाध रूप से अपना शासन स्थापित किये रखा। अपनी अस्मिता और गौरव की रक्षार्थ विभिन्न स्थानों पर यहां वीर योद्घा उत्पन्न होते रहे। फलस्वरूप सत्ता के सौदागर बनना हिंदू ने कभी स्वीकार नही किया। यहां 196 वर्ष तक मुस्लिमों का तथा लगभग 98 वर्ष तक ब्रिटिश लोगों का शासन रहा। 1849 की संधि के अनुसार यहां ब्रिटिश राज्य स्थापित हुआ था।
(5) सिंधु-यहां 998 ई. से 1008 तक लगभग दस वर्ष तक मुस्लिम शासन रहा। इसके पश्चात 1018 से 1026 वर्ष तक अर्थात आठ वर्ष तक 1173 से 1362 ई. तक और फिर 1591 से 1842 ई. तक अर्थात 500 वर्षों तक मुस्लिमों का और 1843 से 1947 कुल 104 वर्षों तक अंग्रेजों का शासन रहा। परंतु इसके साथ-साथ यहां विदेशी सत्ता को उखाडऩे के लिए सतत संघर्ष चलता रहा। भारत की चेतना ने हार नहीं मानी और बार-बार विदेशी सत्ता को उखाड़-उखाड़ कर अलग रखती रही।
(6) अफगानिस्तान – अफगानिस्तान प्राचीनकाल से भारत का अंग रहा था। यहां 17000 वर्ष की कालावधि में 11वीं शताब्दी से मुस्लिम शासन स्थापित हो गया। दुर्भाग्यवश यही वह क्षेत्र था जहां एक बार मुस्लिम शासन स्थापित होने पर उखाड़ा नहीं जा सका। परिणाम क्या निकला? यही कि भारत अपनी अखण्डता को खो बैठा। जिस भारत को आज हम आजाद देखते हैं, यदि कुछ कथित विद्वानों के आधार पर इस सारे भारत को सदियों तक पराधीनता भोगने वाला मान लिया जाए तो भारत की यह स्वाधीनता बिना अफगानिस्तान के अपूर्ण है। क्योंकि अफगानिस्तान ने जब अपनी स्वाधीनता खोयी थी-उस समय तो वह भारत का ही अंग था। जिसे कांग्रेस ने या अन्य किसी राजनीतिक दल ने कभी प्राप्त करने का प्रयास ही नहीं किया। यहां ब्रिटिश सत्ता एक दिन के लिए भी स्थापित नहीं हुई।
लेखक की ” भारत का 1235 वर्षीय स्वाधीनता संग्राम “– नामक पुस्तक से ।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत