रतन टाटा एक अमीर आदमी से ज्यादा एक नेक इंसान थे
मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन
(1937-2024)
श्रद्धांजली
“कोई नहीं कह रहा कि एक अमीर आदमी चला गया, हर कोई कह रहा है कि एक अच्छा इंसान चला गया। जब आप अमीर होते हैं, तो यह उपलब्धि हासिल करना बेहद दुर्लभ है।”
“अगर आपको उनसे एक चीज़ सीखनी है, तो एक अच्छा इंसान बनना सीखें।”
रतन टाटा जी का एक इंटरव्यू जिसमें रेडियो प्रस्तोता ने उनसे पूछा:
“सर, आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली?”
रतन टाटा जी ने कहा:
“मैंने जीवन के चार चरणों में खुशी को तलाशा और आखिरकार सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।”
पहला चरण: धन और साधनों का संचय। लेकिन इस स्तर पर मुझे वह खुशी नहीं मिली जिसकी मुझे चाह थी।
दूसरा चरण: क़ीमती सामान और वस्तुओं का संग्रह। लेकिन मैंने पाया कि इन चीज़ों की चमक अस्थायी होती है।
तीसरा चरण: बड़े प्रोजेक्ट्स और उपलब्धियाँ। जब भारत और अफ्रीका में डीजल की 95% आपूर्ति मेरे पास थी, और मैं भारत में सबसे बड़ा इस्पात कारखाना मालिक था। लेकिन यहाँ भी मुझे वह संतुष्टि नहीं मिली जिसकी मैं अपेक्षा कर रहा था।
चौथा और आखिरी चरण वह था जब एक मित्र ने मुझसे विकलांग बच्चों के लिए व्हीलचेयर खरीदने की गुजारिश की। लगभग 200 बच्चे थे। मैंने व्हीलचेयर खरीदीं और मित्र की ज़िद पर उन्हें खुद बच्चों को बांटा। उन बच्चों के चेहरों पर जो खुशी मैंने देखी, वह अकल्पनीय थी। बच्चों को व्हीलचेयर पर मस्ती करते देख मुझे सच्चे सुख का अनुभव हुआ।
जब मैं जाने लगा, तो एक बच्चे ने मेरा पैर पकड़ लिया। मैंने उससे धीरे से पूछा, “क्या तुम्हें कुछ और चाहिए?”
उस बच्चे का जवाब मेरे जीवन का दृष्टिकोण बदलने वाला था।
बच्चे ने कहा: “मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूँ ताकि जब स्वर्ग में आपसे मिलूं, तो आपको पहचान सकूं और फिर से आपका धन्यवाद कर सकूं।”
यह वह क्षण था जिसने रतन टाटा जी के जीवन में सच्चे सुख का अर्थ स्पष्ट किया।
उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि, इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियों को छोड़ने के बाद आपको किसलिए याद किया जाएगा?
सादगी और आम आदमी की तरह जीवन बिताने वाले रतन टाटा सर का योगदान इस देश की आने वाली पीढियां कई युगों तक याद रखेगी आपके द्वारा खड़ी करी गई व्यवस्था आज लाखो घरों की जीविका का कारण है।
आपको कोटि कोटि नमन 🙏🙏