क्रान्तिकारी भूपेंद्र नाथ दत्त की जयंती के अवसर पर

क्रांतिकारी भूपेंद्रनाथ दत्त का जन्म 4 सितंबर,1880 को कोलकाता में हुआ था । वे स्वामी विवेकानंद के छोटे भाई थे ।उन्होंने हिंदू समाज में व्याप्त जाति पांति , छुआछूत , भेदभाव , ऊंच-नीच और महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों का विरोध किया था। वह क्रांतिकारियों में एक समाजसुधारक , समाजशास्त्री , क्रांतिकारी लेखक और युगांतरकारी पत्रिका के यशस्वी संपादक के रूप में जाने जाते थे ।भूपेंद्रनाथ दत्त युवाकाल में ‘युगांतर आन्दोलन’ से निकटता से जुड़े थे। युगांतर कारी पत्रिका के संपादक के रूप में ही उन्हें अंग्रेज सरकार ने 1907 में गिरफ्तार किया था ।भूपेंद्रनाथ दो बार ‘अखिल भारतीय श्रमिक संघ’ के अध्यक्ष भी रहे।भूपेंद्रनाथ की आरंभिक शिक्षा ईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा स्थापित विद्यालय में हुई थी। उनका भारतीय धर्म संस्कृति मैं अटूट विश्वास था उसी से प्रेरित होकर व क्रांतिकारी आंदोलन में कूद पड़े थे। जहां उस समय की राजनीतिक गतिविधियों में सम्मिलित होकर देश सेवा करना उनका लक्ष्य था ,वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त करना भी उनका लक्ष्य था। उन्होंने अमेरिका से एम.ए. और जर्मनी से पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की।भूपेंद्रनाथ दत्त बंगाल क्रांतिकारी दल के मुख्य पत्र ‘युगांतर’ के संपादक बने। 1902 में उन्हें राजद्रोह के अपराध में गिरफ्तार करके एक वर्ष कैद की सजा दे दी गई। जेल से छूटने पर जब भूपेंद्रनाथ दत्त को ‘अलीपुर बम कांड’ में फंसाने की तैयारी हो रही थी, वे देश से बाहर अमेरिका चले गए। प्रथम विश्वयुद्ध के समय भूपेंद्रनाथ जर्मनी में थे। उन्होंने अमेरिका में स्थापित ‘गदर पार्टी’ से भी संबंध रखा। 1925 में वे भारत आए। समाजसुधारक होकर क्रांतिकारी होना यह क्रांतिकारी होकर समाजसुधारक होना वास्तव में बड़ी टेढ़ी खीर होती है , परंतु हमारे इस महान क्रांतिकारी ने ऐसा करके दिखाया।26 दिसंबर, 1961 को भूपेंद्रनाथ दत्त का कोलकाता में देहांत हो गया। आज उनकी जयंती के पावन अवसर पर हम उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं ।डॉ राकेश कुमार आर्यसंपादक : उगता भारत

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