लोनी बागपत क्षेत्र के लोगों ने दिया है हमेशा राष्ट्रवादी शक्तियों का साथ : डॉ आर्य
लोनी। यहां स्थित गांव टीला में आर्य समाज के सौजन्य से शारद दुर्लभ यज्ञ का आयोजन किया गया है। जिसमें वेदमन्त्रों के माध्यम से करोड़ों आहुतियां दिए जाने का अनुमान है। इस संबंध में जानकारी देते हुए कार्यक्रम के संचालक मंडल के महत्वपूर्ण स्तंभ श्री वेद प्रकाश आर्य ने बताया कि इस यज्ञ में अब तक अनेक विद्वानों के द्वारा अपने विचार व्यक्त किया चुके हैं। वैदिक मान्यताओं को जन-जन तक पहुंचाने और राष्ट्र रक्षा के दृष्टिगत सच्चरित्र युवाओं का निर्माण करने के लिए समर्पित है। इस यज्ञ में वक्ताओं ने वर्तमान समय में स्वामी दयानंद जी महाराज के धर्म और राष्ट्रपरक विचारों के प्रचार प्रसार पर बल दिया है।
विगत रविवार को इस यज्ञ में विशिष्ट वक्ता के रूप में पहुंचे आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि लोनी बागपत का क्षेत्र ऐसा है जहां प्राचीन काल से ही लोगों ने राष्ट्रवादी शक्तियों का साथ देने का अनुकरणीय इतिहास बनाया है। उन्होंने कहा कि कभी यहां पर लवणासुर नामक राक्षस के अत्याचार बढ़े तो रामचंद्र जी ने अपने भाई शत्रुघ्न को अयोध्या से यहां उस राक्षस का अंत करने के लिए भेजा। जिसमें स्थानीय लोगों ने शत्रुघ्न की सेना का साथ दिया और लवणासुर का अंत कराया। यहां पर राजा लूणकरण ने एक किला बनाया। जिसके अवशेष आज भी दिखाई देते हैं । जिस पर 1789 में मुसलमान ने कब्जा कर उस नष्ट कर दिया था।
डॉ आर्य ने कहा कि लोनी क्षेत्र के लोगों ने 1398 की जनवरी में तैमूर लंग के भयानक आक्रमण का सामना किया। जिसमें उस विदेशी आक्रमण कारी आतंकवादी ने एक लाख हिंदुओं के सर कलम कर उनकी मीनार बना दी थी । उसकी मान्यता थी कि ऐसे क्रूर अत्याचार देखकर लोग भाग जाएंगे, पर यहां के वीर और राष्ट्रभक्त लोगों ने उस समय भी भागना उचित नहीं माना था। बड़ी संख्या में लोगों ने योगराज सिंह गुर्जर जैसे क्रांतिकारी योद्धा के नेतृत्व में बड़ी फौज तैयार की। जिसमें सर्वखाप पंचायत का विशेष योगदान रहा। इस फौज में 80000 सैनिक थे। वीरांगनाओं ने भी उस समय कंधे से कंधा मिलाकर अपने वीर भाइयों का साथ दिया और 40000 की सेना तैमूर लंग के विरुद्ध वीरांगनाओं ने भी तैयार की जिसका नेतृत्व रामप्यारी गुजरी ने किया। इन लोगों ने अपने देशभक्ति का परिचय देते हुए विदेशी आक्रमणकारी तैमूर लंग को और उसकी सेना को परास्त करने या मार काट कर खत्म करके राष्ट्रीय अपमान का प्रतिरोध लिया था। बची हुई कमी को हरवीर सिंह गुलिया नामक वीर देशभक्त योद्धा ने हरिद्वार में पूरा कर दिया था जब उसने स्वयं तैमूर लंग को ही अपने भले से गंभीर रूप से घायल कर दिया था जिससे जख्मी होकर तैमूर लंग अपने देश तो चला गया पर इस भले के जख्म से उसका देहांत हो गया था। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के द्वारा यहां पर तीन बागों की स्थापना की गई थी, जिनमें से बागराणप आज एक गांव के रूप में हमारे बीच में है।
श्री आर्य ने कहा कि आज जिहादी जिस प्रकार इस क्षेत्र में अफरातफरी फैलाने का काम कर रहे हैं। उसके विरुद्ध उठ खड़े होकर इस यज्ञ की पावनता का संदेश घर-घर में पहुंचाने की आवश्यकता है। इस यज्ञ का उद्देश्य राष्ट्र रक्षा है ।
इसलिए सनातन के मूल्यों को बचाने के लिए प्रत्येक प्रकार से हिंदू समाज को जागरूक और सजग रहने की आवश्यकता है।