प्रमुख धर्मों में महिलाओं की स्थिति
कुछ दिन पहले हमारे प्रबुद्ध पाठक श्री विजय रेड्डी जी ने हमसे कहा था की आप सनातन और इब्राहीमी धर्मों में महिलाओं के बारे में क्या बताया गया है इसके बारे में संक्षिप्त में एक लेख पोस्ट करिये ,ताकि नवरात्रि के पर्व पर उपस्थित हिन्दू युवतियों और महिलाओं को इन धर्मों में महिलाओं स्थिति का तुलनात्मक ज्ञान मिल जाए। जिस से वह लव जिहाद जैसे इस्लामी जाल में नहीं फंसें इसलिए हम वैदिक सनातन हिन्दू , यहूदी। ईसाई और इस्लाम में महिलाओं के बारे में क्या बताया गया है उसके कुछ मुख्य बिंदुओं पर जानकारी दे रहे हैं
1-वैदिक सनातन हिन्दू धर्म
यह विश्व का सबसे प्राचीन धर्म है जिसकी शिक्षा वेदों पर आधारित है ,यह सनातन इसलिए कि इसका स्थापक कोई नहीं है। इसके नियम सर्वकालीन . हैं इसमें महिलाओं के बारे में कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं
1-पुत्र -पुत्री में समानता
हिन्दू धर्म में पुरुष स्त्री और पुत्र पुत्री को सामान महत्त्व दिया गया है इसलिए जब युधिष्ठिर भीष्म से धर्म पर मार्गदर्शन मांगते हैं , तब अनुशासन पर्व में पुत्री की तुलना पुत्र से इस प्रकार की गई है,
हे राजन! शास्त्रों में पुत्री को पुत्र के समान बताया गया है।
अनुशासन पर्व, महाभारत 13.47.26 [ 25 ]
2-शिक्षा-ब्रह्मचर्य
वैदिक परंपरा में शिक्षा प्राप्ति के लिए बालक बालिकाओं को गुरुकुल जाना पड़ता था और शिक्षा पूरी होने तक ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता था
वेदों और उपनिषदों में उल्लेख है कि लड़कियाँ ब्रह्मचारिणी हो सकती हैं , अर्थात शिक्षा प्राप्त कर सकती हैं] उदाहरण के लिए,
अथर्ववेद में कहा गया है [ ब्रह्मचर्येण कन्या युवानं विन्दते पतिम् |
अथर्ववेद , 11.5.18 [ 106 ]
एक युवा कन्या जो ब्रह्मचर्य से स्नातक होती है , उसे एक उपयुक्त पति मिलता है।
वेदों की तरह, प्राचीन सूत्र और शास्त्र संस्कृत ग्रंथों ने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिया और जो लड़कियां इस संस्कार से गुजरती थीं और फिर पढ़ाई करती थीं उन्हें ब्रह्मवादिनी कहा जाता था । [
3-वेदज्ञ महिलायें
ऋग्वेद 10.125.3 – 10.125.8,
वेदों में कुछ ऋचाएँ ऐसी महिला विद्वानों को दी गई हैं जिन्हें “ब्रह्मवादिनी” के नाम से जाना जाता था। ऐसी कई विद्वान महिलाएँ थीं जो अपने कौशल और बुद्धि से पुरुषों को हरा सकती थीं। इनमें गार्गी, अहल्या, मैत्रेयी, लोपामुद्रा, घोषा, स्वाहा, हैमवती उमा, गौतमी, हेमलेखा, सीता आदि शामिल हैं.
4-विवाह
शिक्षा पूरी करने पर वयस्क युवक युवती का विवाह करने की परंपरा थी ,यद्यपि शास्त्रों में आठ प्रकार के विवाह बताये गए हैं परन्तु आजकल एकहि प्रकार का विवाह प्रचलित है ब्रह्म विवाह – धार्मिक दृष्टि से सबसे उपयुक्त विवाह माना जाता है, जहाँ पिता एक शिक्षित व्यक्ति को ढूँढता है, अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव उससे रखता है। दूल्हा, दुल्हन और परिवार स्वेच्छा से प्रस्ताव पर सहमत होते हैं। दोनों परिवार और रिश्तेदार मिलते हैं, लड़की को औपचारिक रूप से सजाया जाता है, पिता अपनी बेटी को सगाई में उपहार देता है, और वैदिक विवाह समारोह आयोजित किया जाता है। इस प्रकार का विवाह अब आधुनिक भारत में हिंदुओं में सबसे अधिक प्रचलित है।
5-पत्नी का सम्मान
किसी भी पुरुष को क्रोध में आकर भी धर्म का पालन करते हुए अपनी पत्नी के प्रति अप्रिय कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि सुख, आनंद, पुण्य सब कुछ पत्नी पर ही निर्भर है। पत्नी वह पवित्र भूमि है जिसमें पति का पुनर्जन्म होता है, यहां तक कि ऋषिगण भी बिना स्त्री के पुरुष की रचना नहीं कर सकते।
आदि पर्व , महाभारत ग्रंथ, 1.74.50-51 .
6-महिलाओं को स्वतंत्रता
वैदिक काल में महिलाओं को बाद के भारत की तुलना में कहीं अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। विवाह के तरीकों से पता चलता है कि उन्हें अपने जीवनसाथी के चयन में अधिक अधिकार प्राप्त थे। वह दावतों और नृत्यों में स्वतंत्र रूप से उपस्थित होती थी और धार्मिक बलिदान में पुरुषों के साथ शामिल होती थी। वह अध्ययन कर सकती थी और गार्गी की तरह दार्शनिक वाद-विवाद में भाग ले सकती थी। यदि वह विधवा हो जाती तो उसके पुनर्विवाह पर कोई प्रतिबंध नहीं था।
7-पोशाक
कोई ऐसा नियम है जो हिंदू महिलाओं पर कोई पोशाक नियम लागू करता हो। चुनाव व्यक्तिगत विवेक पर छोड़ दिया जाता ,हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए किसी भी प्रकार के पर्दा का कोई आदेश नहीं हमारी कोई भी देवी पर्दा या घूँघट नहीं करती पर्दा इस्लाम की मूर्खता है
8-तलाक
वेदों से लेकर सभी भारतीय धर्मों जैसे जैन ,बौद्ध और सिख ग्रंथों में तलाक के लिए कोई शब्द नहीं है क्योंकि विवाह एक पवित्र संस्कार है इसलिए भारतीय धर्मों में तलाक के लिए कोई जगह नहीं यह भी इस्लाम का अभिशाप है इसी लिए कहा गया है कि किसी महिला या पुरुष द्वारा विवाह को भंग नहीं किया जा सकता है,
मनु स्मृति श्लोक 8.101-8.102
9-बहुपत्नी प्रथा
एकसाथ कई पत्नियां रखने की कुप्रथा काफी पहले से प्रचलित थी लेकिन कालांतर से यह धीमे धीमे समाप्त हो गयी . सबसे पहले भगवान राम ने ही एकपत्नी व्रत का नियम बनाया था आज कल लगभग सभी हिन्दू एक ही पत्नी रखते हैं
10-हिन्दू वीरांगनाएं
भारत में कुछ ऐसी हिन्दू वीरांगनाएं और रानियां हैं जिन्होंने देश और धर्म की रक्षा में जीवन अर्पण कर दिया .
1.रानी दुर्गावती ( गोंडवाना ) , 2 रानी चेनंम्मा ( कर्णाटक ),3.रानी अहिल्या बाई ( इंदौर ),4.रानी लक्ष्मी बाई ( झाँसी ),5.रानी तारा बाई ( महाराष्ट्र )
ऐसी अनेकों हिन्दू महिलाएं हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में ख्याति अर्जित की है इनके बारे में लिखंगे तो हजारों किताबें बन जायेंगी
2-यहूदी धर्म ( Judaism )
यह लगभग पांच हजार पुराना धर्म है ,इसका मुख्य धर्मगंथ “तोराह ( התורה ) है जिसे ईसाई बाइबिल के पुराने नियम ( Old Testament ) के नाम से मानते हैं इसके आलावा यहूदी “तलमूद ( תַּלְמוּד ) और ” मिश्ना ( משנה ) नाम की यह किताबें भी मानते हैं इनमे रीति रिवाज सम्बन्धी नियम दिए हैं ,ऐसा कहा जाता है की यहूदी और मुसलमान यहुदी नबी “इब्राहीम ( אַבְרָהָם ) की संतान है और ईसा मसीह खुद यहूदी थे इसलिए इनके धर्मों को इब्राहीमी धर्म कहा जाता है
2017 के एक अध्ययन के अनुसार , दुनिया भर में यहूदी आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 52% है,यहूदी धर्म ग्रंथों में मलिलाओं के बारे में क्या कहा है संक्षिप्त में दिया जा रहा है
1-शिक्षा
यहूदी महिलाओं की शिक्षा सीमित थी। उन्हें पढ़ना, लिखना, घर चलाना सिखाया जाता था। उन्हें धार्मिक कानून की कुछ शिक्षा दी जाती थी जो उनके दैनिक जीवन के लिए आवश्यक थी, जैसे कि कोषेर रखना । ईसाई और यहूदी दोनों लड़कियों को घर में ही शिक्षा दी जाती थी। हालाँकि ईसाई लड़कियों के पास या तो पुरुष या महिला शिक्षक हो सकते थे, लेकिन ज़्यादातर यहूदी लड़कियों के पास महिला शिक्षक होती थी। [ 53 ] महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा असामान्य थी । [ 54 ] मुस्लिम-नियंत्रित भूमि में यहूदी महिलाओं के लिए शिक्षा के अधिक स्रोत उपलब्ध थे। मध्य पूर्वी यहूदी समुदाय में महिला साक्षरों की बहुतायत थी। [ 55 ]
कई महिलाओं के पास इतनी शिक्षा थी कि वे अपने पतियों के व्यवसाय में मदद कर सकती थीं या अपना खुद का व्यवसाय भी चला सकती थीं। ऐसा लगता है कि यहूदी महिलाओं ने पूरे यूरोप में ईसाई महिलाओं को पैसे उधार दिए थे
2-विवाह की आयु
तौरात यानि बाइबिल की उत्पति ( Genesis 1:28 ) के अनुसार वयस्क होने की आयु 20 साल होती है और विवाह के लिए यही आयु उत्तम होती है ,परन्तु कुछ रबी 18 साल को सही मानते हैं
3-विवाह यानी घरबसाना
यहूदी धर्म में विवाह एक महत्वपूर्ण संस्था है । पत्नी/माँ को हिब्रू में ” अकेरेट हबायत ” ( akeret bayit עקרת בית ) कहा जाता है, जिसका अंग्रेजी में अर्थ है “घर का मुख्य आधार”। परिवार और घरेलू कर्तव्यों का पालन करती है।यहूदी धर्म में विवाह वर वधु और उनके परिवार के लोगों की सहमति से किया जाता है और पत्नी घर की स्वामिनी समझी जाती है (homemaker, housewife)यह शब्द बाइबिल के पुराने नियम “भजन ( Psalm Tehillim 113:9,)में से लिया गया है
4-विवाह के बाद भी पिता कानाम रहेगा
सम्मान्य रूप से सभी धर्मों में लड़की की शादी के बाद उसके नाम के बाद पति का नाम जोड़ दिया जाता है जैसे जया भादुरी का नाम जया बच्चन हो गया लेकिन यहूदी धर्म में शादी के बाद भी पिता का नाम जुड़ा रहता है जैसे ,, उदाहरण के लिए, “दीना, जैकब की बेटी(דינה בת יעקב)
5-बाइबिल महिला नबियों का उल्लेख
पुरुषों की तुलना में, बाइबल में महिलाओं के नाम और भूमिका के अनुसार अपेक्षाकृत कम उल्लेख किया गया है। जिन महिलाओं का उल्लेख किया गया है उनमें कुलमाताएँ -सारा , रेबेका , राहेल और लिआह ; = मरियम ; न्यायी दबोरा ; भविष्यवक्ता हुल्दा ; अबीगैल (जिसने डेविड से विवाह किया ); राहाब ; और फ़ारसी यहूदी रानी एस्तेर शामिल हैं ,शास्त्रीय यहूदी रब्बी साहित्य में प्रशंसात्मक उद्धरण शामिल हैं। तल्मूड में कहा गया है:
6-तलमूद में महिलाओं की प्रशंसा
यहूदी धर्म के धार्मिक नियमों की किताब का नाम तलमूद है इसमें महिलाओं के बारे में यह लिखा है
सर्वशक्तिमान द्वारा (धर्मी) महिलाओं को (धर्मी) पुरुषों की तुलना में अधिक पुरस्कार दिया जाता है। [ 17 ]
दुनिया में वाणी के दस माप उतरे; महिलाओं ने नौ माप लिए। [ 18 ]
महिलाओं में कच्चा ज्ञान कम होता है – यानी, उनमें अंतर्ज्ञान अधिक होता है। [ 19 ]
पत्नी के बिना पुरुष आनन्द, आशीर्वाद और भलाई के बिना रहता है; पुरुष को अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम करना चाहिए और अपने से अधिक उसका सम्मान करना चाहिए। [ 20 ]
एक पुरुष को सावधान रहना चाहिए कि वह कभी भी अपनी पत्नी से अपमानजनक बातें न बोले, क्योंकि महिलाएं रोने लगती हैं और गलत के प्रति संवेदनशील होती हैं। [ 23 ]
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक आस्था होती है। [ 24 ]
महिलाओं में विवेक की शक्ति अधिक होती है। [ 25 ]
महिलाएँ विशेष रूप से कोमल हृदय वाली होती हैं। [ 26 ]
7-महिलाओं को धार्मिक पाबंदियों में ढील
यहूदी पुरषों को चालीस दिनों का उपवास करने का आदेश है जिसे ” तानित ( תַּעֲנִית ) कहा जाता परन्तु महिलाओं को इस से छूट है ,इसी तरह महिलाओं को टोरा पढ़ाने पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी गई .इसके आलावा महिलाओं को आराधनालय जा कर उपासना करने से छूट है इसलिए वह प्रार्थना समूह ,घरों में ही उपासना करने लगीं और महिलाओं ने हिब्रू में प्रार्थना-पद्धति पढ़ना सीखा
8-यहूदी धर्म में तलाक देना पाप है?
अगर कोई महिला अपने पति के तीन साल तक अनुपस्थित रहती है, तो वह “खुद को तलाकशुदा मान सकती है और दोबारा शादी कर सकती है”
हालाँकि यहूदी धर्म में तलाक को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता, लेकिन इसे किसी भी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया गया है और कुछ मामलों में इसे प्रोत्साहित भी किया जाता है। तल्मूड के रब्बियों ने विवाह को एक पवित्र अनुबंध माना है और विवाह विच्छेद को एक अपवित्र कार्य माना है,लेकिन अपरिहार्य कारणों के आधार पर पति पत्नी को अलग किया जा सकता है इसे हिब्रू भाषा में “गेत (גטין) ) कहा जाता है .इस विधि में पति पत्नी को एक लिखित सूचना भेजता है जिसमे लिखा होता है
“You are hereby permitted to all men”. यानि तुम्हें सभी पुरुषों की अनुमति है ,इसके बाद जब वह स्त्री पत्र रब्बी यानि धार्मिक गुरु से पुष्टि कर लेती है तो वह विवाह बंधन से मुक्त हो होती है और किसी से भी विवाह कर सकती है और उस पर व्यभिचार का कोई अपराध नहीं लगेगा
Text of the Get-यहूदी विवाह विच्छेद की सूचना का प्रारूप
https://www.chabad.org/library/article_cdo/aid/557971/jewish/Text-of-the-Get.htm
9-यहूदिओं का स्वर्ग -शमायिम
यहुदिओं के धर्म ग्रन्थ तहलीम ,शीर ह सीरीम में शमयिम के बारे में लिखा है.यह किताब अंग्रेजी में 1910 में डब्लू एल एलेन ने लन्दन में छापी थी.इसमे आयत नंबर भी दिए गए है .इसमे यहूदिओं के स्वर्ग शमयिम के बारे में लिखा है .
वहां सारे वस्त्र सुगन्धित होंगे 150:8.हाथीदांत के भवन में निवास होगा ,वहां कुलीन कुमार्यां मिलेंगी जो तेरी पटरानियाँ होंगीं 60:3.शोभायमान महल होंगे ,लड़ खडाने वाली शराब मिलेगी ,चर्बी वाला भोजन मिलेगा 60:4 जिनकी नाभी कटोरे जैसी हो,जिनके स्तन मृगनी के जुड़वें बच्चे जैसे हों .वे चारों तरफ दफ बजायेंगी.जिनकी जांघें हाथी दांत जैसी हों 68:25
इनके यहाँ हूरें और गिलमा नहीं होंगे परन्तु धार्मिक और सदाचारी महिलाये जा सकेंगी
3-ईसाई धर्म (Christianity )
जनसंख्या के अनुसार ईसाई धर्म वाले पहले नंबर पर हैं ईसाई धर्म ईसा मसीह की शिक्षा पर आधारित है चूँकि ईसामसीह यहूदी थे इसलिए उनकी शिक्षाएं तौरेत पर आधारित है जिसे इसा मसीह ने संशोधित कर दिया था जिनको ईसा मसीह ने लिख लिया था इनको इंजील या बाइबिल का नया नियम ( N.T. ) कहा जाता है लेकिन 15 वीं शताब्दी में ईसाई धर्म दो समुदाय में विभाजित हो गया ,पहला रोमन कैथोलिक ( Roman Catholic., ) ,जो रूढ़िवादी हैं और रोम स्थित पोप के आदेशों का पालन करते हैं दूसरे प्रोटेस्टेंट ( Protastant . ) हैं जो कई समुदायों में विभाजित हैं यह लोग कैथोलिक बाइबिल की कुछ किताबों को नहीं मानते इनकी बाइबिल में 66 किताबें हैं जबकि कैथोलिक बाइबिल में 72 किताबें हैं कैथोलिक ईसाई ईसामसीह की माता को देवी की तरह पूजा करते हैं और हिन्दुओं की तरह 9 दिनों तक अनुष्ठान करते हैं जैसे लैटिन भाषा में “नोवेना ” (Novena ) कहते हैं
ईसाई परंपराएं जो आधिकारिक तौर पर संतों को असाधारण पवित्रता के व्यक्तियों के रूप में मान्यता देती हैं, कई महिलाओं को संत के रूप में पूजती हैं। सबसे प्रमुख हैं मरियम, यीशु की माँ जो पूरे ईसाई धर्म में अत्यधिक पूजनीय हैं, विशेष रूप से रोमन कैथोलिक धर्म और पूर्वी रूढ़िवादी में, जहाँ उन्हें ” ईश्वर की माँ ” माना जाता है
1-माता मारिया की स्तुति लैटन भाषा )
Ave Maria, gratia plena, Dominus tecum
Benedicta tu in mulieribus, et benedictus fructus ventris tui, Iesus
Sancta Maria, Mater Dei, ora pro nobis peccatoribus, nunc, et in hora mortis nostrae. Amen
‘आवे मारिया ग्राशिआ प्लेना दोमिनुस ते कुम
बेनेदिक्ता तू इन मूलि ऐरीबुस एत बेने दिक्तुस फ्रुक्तुस वेंत्रिस तुई येसुस
सांकता मारिया मातेर देई ओरा प्रो नोबीस पक्काब तोरि नुं क एत इन होरा मोर तिस नॉस्त्रे
अर्थ – हे जग विख्यात मारिया ईश्वर आपके साथ रहे ,आप महिलाओं में धन्य है ,और धन्य हैं आपके गर्भ से जन्मे ईसा ,पवित्र मारिया परमेश्वर की माता हम पापियों पर कृपा रखें अभी और मृत्यु के समय में भी . आमीन
2-लड़कियां भी नबी हो जाती थीं
नए नियम में , फिलिप की चार बेटियाँ थीं जो भविष्यवाणी करती थीं। फिलिप्पुस सुसमाचार प्रचारक के घर में जो उन सातों में से एक था, जाकर उसके साथ रहे। 9 उसके चार अविवाहित बेटियाँ थीं जिन्हें भविष्यवाणी करने का वरदान प्राप्त था।
प्रेरितों 21:8–9
3-महिलाएं पुरोहित और साध्वी बन सकती थीं
कुछ ईसाई मानते हैं कि पादरी का पद और पुरोहिताई की अवधारणा नए नियम के बाद की है और इसमें ऐसे पद या भेद के लिए कोई विनिर्देश नहीं है। अन्य लोग प्रेस्बिटर और एपिस्कोपोस शब्दों के उपयोग का हवाला देते हैं , साथ ही
1 तीमुथियुस 3:1–7 या इफिसियों 4:11–16, को इसके विपरीत सबूत के रूप में उद्धृत करते हैं। प्रारंभिक चर्च ने एक मठवासी परंपरा विकसित की जिसमें कॉन्वेंट की संस्था शामिल थी जिसके माध्यम से महिलाओं ने बहनों और ननों के धार्मिक आदेश विकसित किए, महिलाओं का एक महत्वपूर्ण मंत्रालय जो स्कूलों, अस्पतालों, नर्सिंग होम और मठवासी बस्तियों की स्थापना में आज भी जारी है।
4-विवाह के लिए आयु
ईसाई धर्म के अनुसार विवाह के लिए वर की आयु 21 साल और वधु की आयु कम से कम 18 साल होना चाहिए
(The groom must be at least 21 years old and the bride must be at least 18 years old. )
5-विवाह
ईसाई विवाह एक ऐसा विवाह है जो बाइबल के सिद्धांतों के अनुसार स्थापित और संचालित होता है। यह एक पुरुष और एक महिला के बीच का विवाह है
(उत्पत्ति 2:24, मत्ती 19:4-5)।
ईसाई विवाह में कई पत्नियों या पतियों के लिए कोई जगह नहीं है। न ही दो पुरुषों या महिलाओं के बीच ‘विवाह’ बाइबल के सिद्धांतों के अनुसार विवाह है।
ईसाई विवाह एक पुरुष और एक महिला के बीच आजीवन वाचा है।
6-पत्नी पति के आधीन रहे
नए नियम के अंश, जैसे कि “पत्नियों, अपने पतियों के अधीन रहो, जैसे प्रभु के अधीन हो। क्योंकि पति पत्नी का मुखिया है, जैसे मसीह चर्च का मुखिया है, जो उसका शरीर है, और वह स्वयं उसका उद्धारकर्ता है। जैसे चर्च मसीह के अधीन है, वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने पतियों के अधीन रहें”
[इफिसियों 5:22–24
-7तलाक देना पाप है
कैथोलिक ईसाइयों में बहुपत्नी प्रथा और तलाक की अनुमति नहीं है ,बाइबिल में आदेश है
“ जो कोई अपनी पत्नी को त्यागकर दूसरी से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है ; और जो कोई उस त्यागी हुई स्त्री से विवाह करता है, वह भी व्यभिचार करता है।
लूका 16:18
मैं तुम से कहता हूं, कि जो कोई व्यभिचार को छोड़ और किसी कारण से अपनी पत्नी को त्यागकर, दूसरी से ब्याह करे, वह व्यभिचार करता है।” मत्ती 19:3–9
I say to you, whoever divorces his wife, except for unchastity, and marries another commits adultery.”Matthew 19:3–9
8-ईसाइयों का स्वर्ग -पैराडाइज
इसके बारे में नया नियम की किताब प्रकाशित वाक्य में दिया गया है .इसमे अध्याय और आयत नंबर दिए गए है
वहां न गरमी है न सर्दी 3:15,ऊंची उंची दीवारें है ,जो रत्नों से जड़ी होगी वहां चाद की रोसनी कि जरूरत नहीं होगी 21:23 ,बीच में एक नदी है ,एक बाग़ है जिसमे जीवन का पेड़ है ,जिसपर 12 प्रकार के फल लगते हैं.वहां कोई शोक ,पीड़ा और विलाप नहीं होगा 20:4.पहिनने के लिए महीन मलमल मिलेगा 19:8.हरेक को दोगुना फल मिलेगा 18:20,स्वर्ग में युगानुयुग रहेंगे 2:6
इनके यहाँ हूरें और गिलमा नहीं होंगे परन्तु धार्मिक और सदाचारी महिलाये जा सकेंगी
4-इस्लाम मजहब
इस्लाम एक ऐसा मजहब है जो महिलाओं को अपूर्ण यानी आधी मानता हैं ,बल्कि उनको कुत्तों और गधों के सामान अपवित्र मानता है जैसा की कुरान और हदीस में बताया गया है
1-महिला का दर्जा पुरष से आधा है
और यदि गवाही के लिए दो पुरष नहीं हों , तो एक पुरुष के लिए दो स्त्रियां गवाही के लिए पसंद कर लो ,जो गवाह हो जाएँ ”
सुरा -बकरा 2:282
“وَاسْتَشْهِدُوا شَهِيدَيْنِ مِنْ رِجَالِكُمْ فَإِنْ لَمْ يَكُونَا رَجُلَيْنِ فَرَجُلٌ وَامْرَأَتَانِ “2:282
and if two men are not available, then a man and two women from among such as are acceptable to you as witnesses”2:282
सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा है औरतों दर्जा पुरुषों से आधा होता है ,क्योंकि उनकी बुद्धि पुरुषों से आधी होती है ”
बुखारी -जिल्द 3 किताब 48 हदीस 826
2-महिलाओं का दर्जा कुत्तों और गधों के बराबर है
अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा कि औरतें ,गधा ,और कुत्ते लोगों का ईमान बिगड़ देते हैं ,इसलिए इनको एक जगह बांध कर रखना जरूरी है .यह बाहर जाकर ख़राब हो जाते हैं “.Sahih Muslim
In-book reference Book 4, Hadith 301
Reference Hadith 511
USC-MSA web (English) reference Book 4, Hadith 1034
https://sunnah.com/muslim:511
यही काऱण है क़ि अल्लाह ने आज तक किसी महिला को नबी या रसूल नहीं बनाया जबकि अल्लाह ने एक लाख चौबीस हजार पुरषों को रसूल बना दिया
3- महिला मौलवी। मुफ़्ती और पीर नहीं हो सकती
आज तक आपने किसी महिला को मस्जिद का इम्माम ,मौलवी ,काज़ी और मुफ़्ती नहीं देखा होगा यहाँ तक पूरे भारत और पाकिस्तान में लाखों पीरों और औलिया के दरगाह और मजार दिख जायेंगे ,परन्तु किसी महिला का मजार नहीं दिखेगा , क्योंकि
4-मुस्लिम औरतें जहन्नम के लायक !
नोट -यह लेख हमने 13 जन 2013 को पोस्ट किया था इसे पढ़ कर 3 मुस्लिम लड़कियां वैदिक् धर्म अपना चुकी हैं )
मुसलमान अक्सर यह दावा करते हैं कि अल्लाह की नजर में स्त्री और पुरुष दोनों समान हैं .और क़यामत के दिन दोनों को उनके कर्मों के अनुसार फल दिया जाएगा .और यह तय किया जाएगा कि कौन जन्नत में जाएगा और कौन जहन्नम में जाएगा .अल्लाह किसी भी तरह का पक्षपात नहीं करेगा .लेकिन यह बात सरासर झूठ है .मुस्लिम औरतों को पता होना चाहिए कि मरने के बाद उनको हमेशा के लिए जहन्नम में डाल दिया जाएगा .चाहे वे कितनी भी नमाजें पढ़ें ,या रोजे रखें .उनका प्यारा रसूल खुद उनको जहन्नम में ठूंस देगा .और वे जहानम से कभी नहीं निकल पाएंगी .यह बात सभी हदीसों में लिखी है .
1 -मुहम्मद का औरतों से नफ़रत का कारण .
सब जानते हैं कि मुहम्मद को अरतों का बहुत शौक था .वह दुनिया की सारी औरतों को अपनी सम्पत्ती मनाता था.और चाहता था कि अरबी ,यहूदी ,रोमन ,इरानी सभी तरह की औरतें उसके पास हों .लेकिन उसके भाग्य में जादातर विधवा औरतें ही आयी थीं ..इतिहासकारों के अनुसार मुहम्मद कुरूप ,मोटा ,स्थूल और भद्दा था ,देखिये –
सुंनं अबू दाऊद-किताब 40 हदीस 4731
.फिर लड़ाई में मुहम्मद के आगे के दांत टूट जाने से वह और बदशक्ल हो गया था .मुहम्मद के दुष्ट स्वभाव और भयानक सूरत के कारण औरतें उस से दूर रहती थीं .इसीलिए मुहम्मद बलात्कार करता था .और मुहमद ने औरतों को भोग्या और दुनिया का सबसे निकृष्ट जीव बता कर औरतोंको जहन्नम के योग्य बताकर अपनी खीज निकाली है ,जो दी गयी हदीसों से प्रकट होती हैं .देखिये –
2 -औरतें निकृष्ट जीव है .
“इब्ने उम्र ने कहा कि रसूल ने कहा कि औरतें दुनिया की सबसे घटिया मखलूक हैं .और्हर तरह से जहन्नम में जाने के योग्य हैं ”
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 31
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 6
3 -औरतें जहन्नम के योग्य है .
सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि सारी औरतें एक बार नहीं तीन तीन बार जहन्नम में भेजने के योग्य हैं .”
सही मुस्लिम -किताब 3 हदीस 826 .और
सुंनं मसाई -जिल्द 2 हदीस 1578 पेज 342
4 -औरतें जहन्नम का ईंधन हैं .
“इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि औरतें तो जहन्नम का ईंधन हैं ,जिन से जहन्नम की आग को तेज किया जाएगा .”
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 124 और मुस्लिम -किताब 36 हदीस 6596
5 -99 प्रतिशत औरतें जहन्नम जायेंगी
“इमरान बिन हुसैन ने कहाकि रसूल ने कहा कि ,जहन्नम को औरतों से भर दिया जाएगा .यहांतक कि दूसरों के लिए कोई जगह नहीं रहेगी ”
बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 464
“अब्दुला इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह बिना किसी भेदभाव के सारी औरतों को जहन्नम में दाखिल कर देगा .जाहे वे कितनी ही नमाजी और परहेजदार क्यों न हों ”
बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 28 और बुखारी -जिल्द 2 किताब 2 हदीस 161
6 -जहन्नम औरतों से ठसाठस भर जायेगी .
“इब्ने अब्बास ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि मैं जहन्नम को औरतों से ठसाठस भरवा दूंगा .और देखूंगा कि कोई खाली जगह न रहे ”
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 125 और बुखारी -जिल्द 6 किताब 1 हदीस 301 और मिश्कात -जिल्द 4 किताब 42 हदीस 24
7 -अल्लाह ने यह तय कर लिया है
“सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह ने यह पाहिले से ही तय कर लिया है कि ,वह जितनी भी औरतें है उन सबको जहन्नम की आग में झोंक देगा .ओर इस में किसी भी तरह कि शंका नहीं है
.”बुखारी – जिल्द 7 किताब 62 हदीस 124 .
तिरमिजी -हदीस 5681 और मिश्कात -जिल्द 4 किताब 42 हदीस 24
8 -औरतों को यह सजाये मिलेंगी
“सैदुल्खुदारी ने कहाकि ,रसूल ने कहा कि ,जहन्नम में अधिकाँश औरतें ही होंगी .और उनको दर्दनाक सजाएं दी जायेंगी .सबसे पाहिले छोटे छोटे पत्थरों को गर्म किया जाएगा .फिर उन पत्थरों को औरतों की छातियों पर रख दिया जाएगा .जिस से उनकी छातियाँ जल जायेगी .फिर उन गर्म पत्थरों को औरतों के आगे और पीछे के छेदों (vagina और anus )में घुसा दिया जाएगा ,जिस से उनको दर्द होगा ,और यह सब मेरे सामने होगा
बुखारी -जिल्द 1 किताब 22 हदीस 28
9 -जहन्नम के चौकीदार भी
“रसूल ने कहा कि जहन्नम के चौकीदार होंगे ,और अगर कोई और बाहर निकलनेकी कोशिश करेगी तो उसे वापिस जहन्नम में डाल दिया जाएगा ”
इब्ने माजा -किताब1हदीस 113 पेज 96
10 -जहन्नम कैसी है
जहन्नम में खून का पानी (मवाद )पिलाया जाएगा .सूरा इब्राहीम -14 :15 -17
लोहे की बेड़िया होंगी ,और खाने को कांटे होंगे .सूरा मुज्जम्मिल -73 :12
आग से बने हुए कपडे होंगे ,सर पर गर्म पानी डाला जाएगा ,लोहे कि गुर्ज (hooked rods )से धुनाई होगी .सूरा हज्ज -22 :19 -21
जहन्नम में सदा के लिए रहना होगा “.सूरा अत तौबा -9 :63
इन सभी विवरणों से साबित होता है कि ,इस्लाम में औरतों के लिए कोई जगह नहीं है .और अल्लाह के साथ रसूल भी औरतों का शत्रु है .जब अलाह ने अभी से यही तय कर लिया है कि वह हरेक औरत को जहन्नम में भेज देगा तो .मुस्लिम औरतें भी जहन्नम में जायेंगी उनका अल्लाह कि इबादत करना बेकार जाएगा .जीवित रहते तो मुस्लिम औरते अलाह के जंगली कानून शरियत के कारण जहन्नम भोग रही हैं ,और मरने पर भी उनको जहन्नम ही मिलेगी ..
इस से बचने का एक ही रास्ता है कि,कुंवारी मुस्लिम लड़कियां फ़ौरन किसी हिन्दू या गैर मुस्लिम लडके से शादी कर लें .ताकी उनकी जन्नत या स्वर्ग में जाकर आराम से रह सकें और इस जीवन में भी अल्लाह के अत्याचारों से बच सकें .
औरतें जहन्नम का ईंधन
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महिलाओं की स्थिति ,
बृजेंद्र कुमार वत्स
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