केवल राहुल गांधी के लिए सबूत होने चाहिए बाकी हर किसी को बिना सबूत ही कोर्ट रगड़ देंगे; न्यायिक तानाशाही की पराकाष्ठा देखिए

INDIA FIRST से

सुभाष चन्द्र
हाल के कुछ किस्से बताता हूं जिन्हें देख कर साफ़ लगता है कि न्यायपालिका अपनी मनमर्जी चला रही है। 3 दिन पहले बैंगलुरु कोर्ट के XLII Additional Chief Judicial Magistrate ने एक NGO Janaadhikaara Sangharsha Parishath के activist Adarsh R Iyer की शिकायत पर सुनवाई कर निर्मला सीतारमण, जे पे नड्डा और अन्य के खिलाफ मामला पुलिस को जांच के लिए भेज दिया।

शिकायत में Iyer ने दावा किया कि सीतारमण, नड्डा और ED/CBI ने कई कंपनियों को धमका कर इलेक्टोरल बांड्स के जरिये पार्टी के लिए 8000 करोड़ रुपये उगाहे।
इस शिकायत करने वाले का वकील था प्रशांत भूषण जिसने बेंगलुरु की निचली अदालत में भाजपा के बड़े नेताओं को फ़साने का षड़यंत्र रचा जबकि ऐसी जांच के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने नहीं किए। ये शिकायत हवा में थी बिना किसी ठोस सबूत के और मजिस्ट्रेट उसकी पुलिस जांच के लिए तैयार हो गया जिससे निर्मला, नड्डा, ED/CBI के डायरेक्टर पुलिस स्टेशन में हाजिर हों।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने आज उस आदेश को स्टे कर दिया लेकिन प्रशांत भूषण के मुद्दों पर दशहरे बाद सुनवाई करने की बात कही है। यानी कोई सबूत नहीं होंगे, फिर भी सुनवाई होगी, तो फिर ये सब बाते सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं कही?

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इलाहाबाद हाई कोर्ट को राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता के लिए सबूत चाहिए और जो ब्रिटिश कंपनी के documents हैं, वो कोर्ट के लिए किसी काम के नहीं हैं। अरे CBI जांच के आदेश दीजिए, सरकारी एजेंसी ब्रिटिश सरकार से सब जानकारी निकाल लेगी। भारत सरकार से सवाल करने के साथ राहुल गांधी को भी तो नोटिस देकर उससे उसका पक्ष पूछिए, इसमें क्या समस्या है?
तिरुपति मंदिर में लड्डुओं में मछली का तेल, Beef Tallow और Lard (सुअर की चर्बी) मिलने की बात गुजरात की लैब में कही गई ऐसा चंद्रबाबू नायडू ने कहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस KV VISWANATHAN की बेंच ने साफ़ कह दिया कि सबूत दीजिए क्योंकि रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है। अगर रिपोर्ट में कुछ नहीं है तो एक मुख्यमंत्री ऐसा दावा कैसे कर सकता है?

यह काम यदि मुसलमानों के खिलाफ हो गया होता तो पहले तो मुसलमान राज्य में जगह जगह आग लगा देते दंगे कर देते और मीलॉर्ड तांडव कर रहे होते लेकिन हिंदुओं के लिए सबूत मांग रहे हैं। अरे तिरुपति मंदिर की महिमा के साथ तो खिलवाड़ बंद करो लेकिन कैसे करें गवई साहब कांग्रेस परिवार से जो आते हैं? हिंदुओं की चिंता कैसे हो सकती है? विश्वनाथन जी तो बेंच में बैठ ही नहीं सकते क्योंकि वे 2013 में जगनमोहन रेड्डी के वकील रहे हैं।
एक विदेशी हिंडनबर्ग फर्जी रिपोर्ट देता है तो सुप्रीम कोर्ट बिना कोई सबूत होते हुए भी जांच के आदेश दे देता है और 150 बिलियन डॉलर भारतीय शेयर बाजार में डूब जातें है। BBC नरेंद्र मोदी के खिलाफ गोधरा पर फर्जी रिपोर्ट देता है तो कांग्रेस पगला जाती है जैसे संजीवनी मिल गई हो।

लेकिन बांग्लादेश का ब्लिट्ज का एडिटर सलाहुद्दीन शोएब चौधरी कहता है कि राहुल गांधी की बीवी है और दो बच्चे हैं तो इसकी जांच के लिए कोई वकील हाई कोर्ट में याचिका दायर नहीं करना चाहता यह कह कर कि सबूत चाहिए। बस राहुल के मामले में सबूत चाहिए बाकी हर किसी मामले में अफवाहों पर ही जांच शुरू कर दी जाएगी और हिंदुओं का मामला है तो भी सबूत मान लेंगे।

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