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मुद्दा

इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।

इरान 100 साल में पूरी तरह मुस्लिम हो गया। अफगानिस्तान 300 साल में। भारत 700 साल में भी मुस्लिम और 200 साल में ईसाई नही बना। क्यों?
18 सितंबर 1857, अंग्रेजों ने आज के दिन गोंड जनजाति गोंडवाना साम्राज्य के महान शासक राजा शंकर शाह
और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथशाह को जबलपुर मप्र में तोपों के सामने खड़ा कर उड़ा दिया था।

राजा शंकर शाह जबलपुर, मध्यप्रदेश के गोंड राजवंश के शासक थे। उनका जन्म गोंडवाना के वीर योद्धा परिवार में हुआ था। राजा शंकर शाह का शासन क्षेत्र वर्तमान मध्यप्रदेश के जबलपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों तक फैला हुआ था। उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह भी अपने पिता की तरह वीर और स्वराज प्रेमी थे।

राजा शंकर शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई थी। उनका मानना था कि अंग्रेज भारतीयों के स्वाभिमान और समृद्ध संस्कृति को नष्ट करने पर तुले हैं। उन्होंने अपने पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका। सन् 1857 के विद्रोह के दौरान जब पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की लहर चल रही थी, उसी समय राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष की योजना बनाई।

राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह को अंग्रेजी सरकार ने 14 सितंबर 1858 को गिरफ्तार कर लिया। उन पर अंग्रेजों के खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया। चार दिनों तक उन्हें कई प्रकार की यातनाएं दी गईं और आखिरकार 18 सितंबर 1858 को जबलपुर की कोतवाली के सामने सार्वजनिक रूप से दोनों वीरों को तोप के मुँह से बांधकर उड़ा दिया गया।
अंग्रेजों के सामने सर न झुकाने वाले महान योद्धा के बलिदान दिवस पर शत्-शत् नमन्।

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