धरी रह गई खेल मैदान को मिनी स्टेडियम बनाने की योजना

गुलाबबाड़ी खेल के मैदान को मिनी स्टेडियम बनाए जाने की योजना धरी की धरी रह गई। मिनी स्टेडियम बनाए जाने की योजना लगभग एक दशक पुरानी होने के बाद भी परवान नही चढ़ सकी। आशीष माथुर, दीपक, दिलीप यादव, अरविंद श्रीवास्तव, चंद्रदेव कहते हैं कि 1995 में तत्कालीन परिवहन मंत्री आरके चौधरी ने इस मैदान पर आयोजित डॉ. भीमराव अंबेडकर क्रिकेट प्रतियोगिता के अवसर पर गुलाबबाड़ी खेल के मैदान को डॉ.अंबेडकर के नाम पर मिनी स्टेडियम बनवाए जाने की घोषणा ही नही की बल्कि फाइल भी दौड़ा दी थी। मैदान का सर्वे भी हुआ किंतु सत्ता के बदलने के साथ ही फाइल बंद हो गई। उसके बाद खिलाडिय़ों ने कई बार योजना को मूर्तरूप देने के लिए प्रशासन का दरवाजा खटखटाया, लेकिन फाइल आलमारी से बाहर नही निकल सकी और योजना ठंडे बस्ते में चली गई। समय बीतता गया। लोग इस योजना को भूल ही रहे थे कि 2002-03 में एक बार फिर आरके चौधरी मंत्री बने वह भी खेल विभाग के ही। लोगों में आस जगी। लोगों ने याद भी दिलाया, लेकिन स्थिति वही ढाक के तीन पात रही। सत्ता परिवर्तन हुआ। 2007 में प्रतियोगिताओं के दौरान एक बार फिर से मिनी स्टेडियम का मामला उस समय गरमाया जब तत्कालीन मंत्री द्वय लालजी वर्मा और राम अचल राजभर ने उद्घाटन व समापन अवसर पर खेल मैदान की फाइल को निकलवा कर उसे देखने के बाद उस पर क्रियांवयन की बात कही। अहम बात तो यह है कि उस दौरान एक के बाद एक चल रही प्रतियोगिताओं में आ रहे मंत्री, विधायक और अधिकारी सभी खिलाडिय़ों को आशान्वित करते रहे लेकिन योजना रूपी गाड़ी अपनी जगह से खिसका नहीं सके । 1926 में खिलाडिय़ों और खेल के विकास के लिए आवंटित यह मैदान आज अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहा है। खिलाडिय़ों ने मैदान के एक हिस्से को समतल कर हाकी के अभ्यास के योग्य बना कर गतिविधियां चालू कर रखी हैं लेकिन मिनी स्टेडियम का सपना साकार नही हो पा रहा है।

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