दादरी में हुआ 1857 की क्रांति की 155वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रमों का आयोजन

दादरी। शहीद स्मृति संस्थान के द्वारा यहां 10 मई को 1857 की क्रांति की 155वीं वर्षगांठ के पावन अवसर पर शानदार कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शहीद स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव संजय भाटी ने हमारे संवाददाता को बताया कि संस्थान की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों लोगों ने सर्वप्रथम 1857 की क्रांति के हीरो और क्रांतिकारियों के सिरमौर राव उमराव सिंह की मूर्ति पर श्रद्घासुमन अर्पित किये। तत्पश्चात दादरी ब्लाक के पार्क में स्थापित शहीद स्तंभ पर जाकर सभी लोगों ने क्षेत्र के सैकड़ों शहीदों को नमन किया और अपने श्रद्घा सुमन अर्पित किये। इस कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए डा. सुधीर गौड़ ने बताया कि उनका संगठन पिछले तीन वर्ष से इन कार्यक्रमों का नियमत: आयोजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में मा. राधाचरण भाटी, ब्रजपाल भाटी एडवोकेट, रामकुमार वर्मा, सुभाष भाटी, सुनील भाटी, श्यामवीर सिंह एडवोकेट, नीरपाल भाटी, जगतराव, वरूण आर्य एडवोकेट, अजय कुमार आर्य आदि सहित सैकड़ों लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी तथा शहीदों के प्रति अपने श्रद्घासुमन अर्पित किये।
दूसरी ओर बार एसोसिएशन दादरी ने भी 1857 की क्रांति की 155वीं वर्षगांठ पर सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया। बार एसोसिएशन दादरी ने दादरी ब्लॉक के पार्क में स्थित शहीद स्तंभ पर जाकर एसडीएम दादरी श्री राजेश कुमार यादव के नेतृत्व में अपने श्रद्घासुमन अर्पित किये। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जयपाल सिंह नागर ने हमारे संवाददाता को बताया कि शहीदों के प्रति सम्मान प्रत्येक नागरिक का मौलिक कत्र्तव्य है। जो राष्टï्र अपने शहीदों का अपमान करता है वह मर जाता है। इस अवसर पर बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ता महीपाल भाटी, ब्रजपाल भाटी, ऋषिपाल भाटी, राजपाल सिंह नागर, राकेश कुमार आर्य, राजकुमार आर्य, राकेश नागर, डीपी नागर, दयानंद नागर, चाणक्य भाटी, अनिल भाटी, अनुज राज नागर आदि सहित सैकड़ों अधिवक्ता एवं अन्य लोग उपस्थित थे। एसडीएम दादरी ने शहीदों की स्मृति में निर्मित पार्क के सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि हम आने वाली पीढिय़ों को अपने शहीदों के प्रति सही संस्कार दे सकें। बाद में उगता भारत के संपादक राकेश कुमार आर्य एवं सहसंपादक राजकुमार आर्य ने एसडीएम दादरी से मिलकर शहीदों के नाम पर नोएडा के पार्कों का नामकरण करने तथा परी चौक का नाम राव कौशल सिंह चौक रखने की मांग की ताकि क्षेत्र की शहीद परंपरा का उचित रख-रखाव हो सके और आने वाली पीढिय़ां अपने गौरवमयी अतीत से कुछ शिक्षा ले सकें। बार एसोसिएशन दादरी के द्वारा ऐसे प्रयास पूर्व में भी किये जाते रहे हैं।
दादरी का शानदार इतिहास
1857 की क्रांति के संदर्भ में दादरी का शानदार इतिहास रहा है। उस समय दादरी पर राव उमराव सिंह शासन कर रहे थे। मुगलवंश के शासकों के प्रति उनकी निष्ठा थी। विदेशी शासक अंग्रेजों को भगाने के लिए उनके नेतृत्व में दादरी के लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया और राव साहब को मुगल बादशाह की सहायता करने के लिए दिल्ली भेजने का प्रस्ताव पास किया। राव साहब अपने कुछ साथियों को साथ लेकर तथा जाट लोगों के सरदारों को साथ लेकर दिल्ली के लालकिले में जाकर मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर से मिले और उन्हें अपनी तलवार भेंट की। जो इस बात की प्रतीक थी कि पूरी रियासत मुगल बादशाह के साथ है। मुगल बादशाह अंग्रेजों से किसी प्रकार का जोखिम लेना नहीं चाहते थे, लेकिन दादरी के गूर्जर रणबांकुरों के साथ आ जाने से साथ ही जाट और राजपूतों के साथ आने से उन्हें बल मिला। हजारों लोगों ने सहयोग के लिए आगे आने का फैसला किया, मेरठ गजट से स्पष्टï होता है कि उस समय के मेरठ और बुलंदशहर जिले के सैकड़ों लोगों ने देश के लिए अपना सर्वोत्कृष्टï बलिदान दिया। बुलंदशहर के काले आम पर लोगों को फांसी की सजा दी जाती थी, इस क्रांति के समय गूर्जर समुदाय को विशेष रूप से अंग्रेजों ने अपने आतंक और अत्याचार का शिकार बनाया, लेकिन कुछ भी दादरी ने अत्याचारों के बावजूद अपना जो शानदार इतिहास बनाया वह भारतीय इतिहास की विरासत बन गयी।

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