कांग्रेस और विदेशी ताकतें नहीं चाहतीं…

मैं अभी एक कोयला आधारित ताप विद्युत गृह के निर्माण कार्य में लगा हू और मेरा दोस्त सूर्य उर्जा घर बनाने में लगा है, ताप विद्युत घर मे–
1- सिर्फ 12 वर्ग किमी की जमीन प्लांट बनाने के लिए लिया गया है, और कालोनी, रोड, कोयला ढोने के लिए रेल के लिए, पानी के लिए पैप और रोड और राखी के लिए जमीन चहिये जिसमे कुल मिलकर 16.98 वर्ग किमी जमीन खरीदी गयी है वह भी जबरदस्ती।
2- जमींन कब्जा करने के लिए 5 लाख एकड़ के रेट से 210 करोड रुपये खर्च किये गए और 5 गाव उजाड दिया गया है। इस पूरी जमीन में बढिय़ा खेती भी होती थी। 3- इतना सब करने के बाद कोयला जलाकर 1200 मेगावाट बिजली बनेगी जिसमे 30त्न वितरण में नष्ट हो जायेगी क्योकि इसे एक ही जगह बड़ा बनाने में ही फायदा है, यानि कुल बिजली मिलेगी मात्र 840 मेगावाट। 4- प्रति मेगावाट निर्माण खर्चा सभी छूट मिलाकर आता है 80 रुपये वाट यानी 9600 करोड रुपये और उत्पादन आता है 3 रुपये वाट; जिसमे सरकार इन्हें 10 पैसा किलो कोयला देती है, वाही कोयला जो बाजार में 12-13 रुपये किलो बिक रहा है, इस पर भी प्रदुषण कोयला खदान में और चिमनी से। इतनी राखी बनेगी की उसके लिए अलग से जमीन चाहिए, जहा कोयला निकलेगा। वहा का पूरा जंगल सत्यानाश हो जा रहा है। और आदिवासियों को खदेडा जा रहा है, यदि सरकार सूर्य उर्जा का प्लांट लगाती तो क्या होता—
1- एल पैनल जो 1 मीटर गुने डेढ़ मीटर होता है, 230 वाट बिजली बनाता है, 840 मेगावाट के लिए 3652173 पैनल चाहिए।
2- यदि पैनल के चारो और आधा मीटर की जगह छोड़कर लगाया जाये तो 3652173 गुने 2 वर्गमीटर यानि 7304347 वर्ग मीटर जगह चाहिए यानी कुल 7.3 वर्ग किमी जमीन चाहिए। अफीस बनाने के बाद भी 8 वर्ग किमी जमीन बचेगी यानी 2000 एकड़ जमीन खेती को मिलती।
3- इसे बनाने के लिए यदि सरकार वाही छूट दे जो कोयला प्लांट को देती है तो इसे 50 रुपये प्रति वाट के हिसाब से बनाकर 4200 करोड रुपये खर्च होगा और उत्पादन बिलकुल फ्री है, जिसमे न तो कोई प्रदुषण है नहीं कोई आवाज़ ,न ही राखी निकलती और मरम्मत भी नाममात्र का । इसमे भी 5000 करोड की बचत होगी। गणना के लिए हमने 840 वाट ही पकड़ा है क्योकि सौरी उर्जा केंद्र गाव गाव में लगेंगे। एक जगह लगाकर 30त्न बिजली नष्ट क्यों करना। 5000 करोड बचे पैसे से 50 रुपये वाट के हिसाब से 43 लाख घरों पर अतिरिक्त सूर्य ऊर्जा पैनल 230 वाट का लगा दिया जाता। 4- यह सौर उर्जा तकनीक वर्षों से अपने पास है, चीन इसे खिलौनों में लगाकर बार बार भारत को चिढाता भी है लेकिन भारत के चोरकट नेता इधर सोचते ही नहीं क्योकि हर घर में बिजली जाने का मतलब है की विदेशियों की लूट दो तरह से बंद हो जायेगी। पहला इसमे उन कंपनियों की लूट बंद हो जायेगी जो नेताओ को पैसा देते है, घर घर बिजली होने घर ज्ञान और लुटेरो की खबर आधुनिक मिडिया से पहुंचेगी जिसकी वजह से गाँधी-नेहरू खानदान की असलियत अब जाकर 65 साल बाद लोगो तक पहुंची है जो भारत की लूट के सबसे बड़े सूत्रधार रहे है। 5- घर में उजाला का मतलब है की घर घर में खुशहाली अपने आप आ जायेगी और इस बिजली के कारन 5 करोड अतिरिक्त रोजगार पैदा हो जायेंगे जैसे मोबाइल की वजह से पैदा हुआ है। 6- किसानो को गैस से चलने वाला इंजिन देकर और गाव गाव में गोबर से गैस सिलिंडर भरने का प्लांट लगाकर और उससे निकला खाद किसानो वापस देकर भारत को खुशहाल बनाने में मात्र 3 साल लगेगे। गाय कटना बंद करके गाय और पशुधन आधारित तंत्र खडा करके भारत की खुशहाली कहा पहुँच जायेगी, विदेशी इसे जानते है, भारत की सरकार हर साल 54 करोड गाय-बैल-भैस कटवा कर विदेशियों को खिला देती है और भारत के बच्चे नकली दूध पी रहे हैं। 7- शुद्ध खाना पेट में जाने से रोग और बीमारी कम होगी और जनता खुशहाल होगी। 8- भारत स्वाभिमान का ये कहना की गाय-कृषि-योग-आयुर्वेद-सौर ऊर्जा से इस देश को मात्र 2020 तक विश्व की आर्थिक शक्ति बनाया जा सकता है, इसमे कुछ भी गलत नहीं है। स्वामी रामदेव जी के पास इकठ्ठा होती भीड़ इसकी गवाही देता है। 2014 के बाद इस दिशा में ठोस कदम उठाया जायेगा। क्योकि तब तक कंग्रेस जा चुकी होगी।

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