‘उगता-भारत’ कर रहा है अपना नाम सार्थक

दादरी। अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल का कहना है कि ‘उगता-भारत’ पत्र अपने नाम के अनुरूप कार्य कर रहा है। उज्ज्वल भविष्य के संकल्पबद्ध समाचार पत्र के लेख मैं नियमित रूप से पढ़ता हूं जिससे मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस पत्र के द्वारा राष्ट्र जागरण का कार्य किया जा रहा है वह बहुत ही प्रशंसनीय है। श्री अग्रवाल ने कहा कि माता-पिता के प्रति सच्चा श्राद्ध यही है कि उनकी तन-मन-धन से सेवा की जाये। उनके जाने के बाद उनके अच्छे कार्यों की पूजा की जाये और उन्हें पूर्ण करने का संकल्प लिया जाये जिससे आने वाली पीढि़यां लाभान्वित हों।

इस अवसर पर हिंदू महासभा उत्तर प्रदेश के प्रातीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद गुप्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति यज्ञीय संस्कृति है, इसमें मनुष्य को ‘जोड़ने-जोड़ने’ के लिए नहीं अपितु ‘छोड़ने-छोड़ने’ के लिए प्रेरित किया जाता है। ‘छोड़ने-छोड़ने की संस्कृति ही वास्तव में यज्ञीय भावना का नाम है। इसमें व्यक्ति दूसरों के लिए कुछ छोड़ना चाहता है। यज्ञ में बार-बार हम आहुति डालते समय स्वाहा-स्वाहा इसी भाव के साथ कहते हैं। उन्होंने कहा कि आर्य बधु परिवार समाचार पत्र के माध्यम से तथा अपने पिता की 100वीं जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन के माध्यम से इसी प्रकार के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना चाहता है। जिससे पत्र का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण हो रहा है और इसका नाम सार्थक हो रहा है।

 

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