विलय पर विवाद क्यों?

(जम्मू कश्मीर विलय दिवस 26 अक्टूबर)

नेहरू जी और गांधी जी की अदूरदर्शी नीतियों से रियासत का विलय अभी तक विवादास्पद बना हुआ है जबकि रियासत के आधे भाग पर पाकिस्तान और चीन ने अवैध कब्जा कर रखा है। नेहरू जी व गांधी जी की यह महान गलती थी कि ये दोनों, शेख अब्दुल्ला को ही राज्य का शासन सौंपना चाहते थे।

शेख अब्दुल्ला ने सत्ता ग्रहण करते ही युद्ध विराम करा दिया, धारा 370 लगवा दी, अलग संविधान और अलग झंडे को भी मान्यता दे दी। मुस्लिमों को बढ़ावा दिया और हिंदुओं की उपेक्षा की जाती रही। वे कभी राष्ट्रवादी बनते तो कभी अलगाववादी भाषा बोलते थे। उनके पुत्र फारूख अब्दुल्ला का भी यही हाल है। 1947 में हिंदू का प्रतिशत 48 था जबकि अब प्रतिशत 35 रह गया है।

आतंकवादी क्या चाहते हैं?: ये भारत विरोधी नारे लगाते हैं। प्रदर्शन करते हैं। हिंसक कार्य करते हैं। निर्दोषों की हत्या करते हैं। पुलिस-सेना से भी मोर्चा लेते हैं। प्रशिक्षित हैं और आधुनिक हथियारों से लैस हैं। ये जम्मू-कश्मीर-लद्दाख का पाकिस्तान मे विलय चाहते हैं और पूरे राज्य का इस्लामीकरण करना चाहते हैं। सेना के अधिकार सीमित हैं। राज्य के मुस्लिम भी इन्हे सहयोग कर देते हैं। आए दिन छोटी-छोटी घटनाओं की आड़ में प्रशासन को असामान्य बना देते हैं। इनका कहना है कि राज्य की जनता विलय का फैसला करेगी जबकि विलय पर फैसला करने का अधिकार तत्कालीन महाराज हरी सिंह को ही था।

समस्या का हल क्या है?: जब तक अलग झंडा, अलग संविधान, धारा 370 को हटाकर जम्मू और लद्दाख में हिंदुओं को बसाकर, हिंदू का प्रतिशत 60 से ऊपर नहीं कर दिया जाता है और राज्य का मुख्यमंत्री किसी हिंदू को नहीं बना दिया जाता है तब तक विलय पर खतरे की घंटी और तलवार लटकी ही रहेगी। हर कार्य सख्ती से कोई फौजी या दूरदर्शी नेता ही कर सकता है। यदि यह कार्य नहीं हो पाता है तो पाकिस्तान से पूर्वी सिंध का हिंदू बहुल क्षेत्र लेकर, मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी को देकर समस्या को स्थायी रूप से हल किया जाये। 1947 में पूर्वी सिंध भारत को नहीं मिला था जबकि राष्ट्रगान में सिंध अब भी बोला जाता है।

अतः क्षेत्रों की अदला बदली करके नेहरू जी द्वारा उत्पन्न की गई समस्या को समाप्त किया जाए। नियंत्रण रेखा को हटाकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा स्थापित की जाये।

इंद्रदेव गुलाटी, संस्थापक

सावरकरवाद प्रचार सभा

बुलंदशहर

 

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